हमारे शरीर के लिए धुप(Benefits of sunlight )है अमृत समान –
धूप (Benefits of sunlight)के बारे में सोचते ही हमारे मस्तिष्क में एक नकारात्मकता आ जाती है। यदि आप यह अध्याय मई या जून की दोपहर में पढ़ रहे हैं तो शायद आपका दिल ही इसे पढ़ने का नहीं होगा। आप यदि आराम पसंद,विलासी और सुन्दरता के लिए अति सवेंदनशील है तो फिर आपको धूप बहुत चुभती होगी और आप उससे कम ही दो -चार होते होंगे।
मेरे इस लेख का उदेश्य ही आपके ये भ्रम तोड़कर धूप की उपयोगिता को आपके मन में बसाना है। दुर्भाग्य से यह एक बहस का विषय बन चुका है, ‘क्या’ सूर्य हमारा मित्र है ? जबकि यदि हम इकोसिस्टम को थोड़ा भी जानते है, तो यह समझ सकते है कि धूप के बिना जीवन संभव ही नहीं है।
कुछ लोगों को भ्रम है कि सूरज हमारी त्वचा के लिए घातक है तथा इससे हमें त्वचा की समस्याएँ और कैंसर तक होने की सम्भावनाएँ हो सकती हैं क्योकि कुछ लोगों मानना है की धूप से बुढापा जल्दी आ जाता है और इसीलिए यह मुहावरा प्रसिद्ध हो गया, ये बाल हमने धूप में सफेद नहीं किए हैं। लेकिन धूप पर हुई रिसर्च ने हमें बिलकुल अलग ही बातें बताई।
धूप हमें कई तरह के कैंसर से बचाती है, बुढापे को रोकती है, त्वचा के लिए अमृत है,हड्डियों के लिए संजीवनी है, कमजोरों के लिए टॉनिक है तो निराश लोगों के लिए आशा की किरन है आदि, आदि। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुए एक शोध में ये बाते सामने आई। शोधकर्ताओं नें 177 देशों के लोगों पर अपना शोध किया और पाया कि विटामिन ‘डी’ की कमी से लोगों में ब्रेस्ट कैंसर और कोलोन के कैंसर की दर में बढ़ोंत्तरी पाई गई है अर्थात विटामिन ‘डी’ की कमी से ब्रेस्ट कैंसर और आंतो के कैंसर की संम्भावना बढ़ जाती है और विटामिन ‘डी’ का एकमात्र स्त्रोत धूप है।
यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के रिसर्च का सार था की प्रतिवर्ष 6,oo,ooo लोगों को ब्रेस्ट और कोलोन कैंसर से बचाया जा सकता है यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी दिया जाए। विटामिन डी मात्र 15 मिनट रोजाना धूप में बैठकर प्राप्त किया जा सकता है 15 मिनट धूप में बैठने से हमें 1, ooo आई.यू. विटामिन डी प्राप्त हो जाता है, जो हमारे शरीर की प्रतिदिन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए काफी है। एक अमेरिका संस्था ने यह पाया की यदि कोई व्यक्ति रोजाना सुबह सूर्योदय के समय की धूप का सेवन करे, तो उसे अनिद्रा की परेशानी से छुटकारा मिल जाता है
इसके लिए आपको यह करना है की अपने कमरे में एक खिड़की लगवाएँ जिससे सुबह की धूप सीधे आपके कमरे में प्रवेश करे। इससे आपकी नींद जल्दी खुल जायेगी और आप के शरीर पर धुप पड़ने से आपको विटामिन ‘डी’ की पूर्ति भी हो जायेगी। अवसाद में घिरे रोगियों में एक बात सामान्य होती है और वह है – सुबह देर तक सोते रहना। हाँ ये रोगी सुबह देर से उठते है और सूर्य की स्वार्णिम किरणों से दूर रहते है।
डॉ टीमो पोर्टनिन, जो कि नेशनल पब्लिक हेल्थ इंस्ट्रीटयूट ऑफ कींनलैड के अनुसंसाधनकर्ता है,का कहना है कि जो व्यक्ति ग्रीष्म ऋतू में धूप का अच्छे से सेवन कर लेता है उसे सर्दियों में होने वाला अवसाद नहीं होता जिसे चिकित्सकीय भाषा में सीजनल अफेक्टेड डिसऑर्डर सेड (seasonal affected disorder- sad) कहते है चूंकि ठंडे देशों में सूर्य कम निकलता है और सर्दियों में तो सूर्य के कभी – कभार ही दर्शन हो पाते है,तो ऐसे लोगों में सर्दियों में अवसाद के लक्षणों में वृद्धि हो जाती है।
त्वचा पर जब धूप पड़ती है तो वह नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है जो कि ब्लड प्रेशर को कम करती है। अतः हाई बी. पी. के रोगियों के लिए भी धुप एक दवाई है। यह एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी का रिसर्च कहता है। लेंसेट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार मेलेनोमा कैंसर का खतरा उन लोगो में अधिक होता है जो की इनडोर (ऑफिस या घर में) रहते है तथा उन लोगों में इसका खतरा कम होता है,जो कि जो कि धूप में काम करते हैं। 1903 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त नील्स फिनंसेन के बताए हुए धूप के बैक्टीरिया – रोधी गुण का प्रयोग जर्मन सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्धमें अपने घावों को भरने में उपयोग किया। अतःधूप बैक्टीरिया का नाश करने में में भी सक्षम है।
धूप कोलेस्ट्रोल को स्टेरॉयड (हार्मोन) और सेक्स हार्मोन में परिवर्तित करती है जिसकी कि हमें प्रजनन में आवश्यकता होती है। यदि हम धूप का सेवन नहीं करेंगे तो हमारी प्रजनन शक्ति कम हो जायेगी तथा कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाएगा। कोलेस्ट्रोल कम होने से मोटापा नहीं होता तो ह्रदय रोगों का जोखिम भी कम होता है
धूप की उष्णता से हमारी रक्त्त वाहिकाएँ साफ होती है तथा उनकी कठोरता (atherosclerosis) कम होती है जिससे भी ह्रदय तथा अन्य धमनियों से सम्बन्धी रोगों का जोखिम घट जाता है । धूप से सम्पर्क होने से हमारे शरीर के रक्त्त में सफेद रक्त्तकणों (wbc) की संख्या में वृद्धि होती है, जो की हमे रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। अतः धूप से हमारी रोग – प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
धूप के और अनेक फायदे हैं कुछ हमारी मानव बुद्धि समझ चुकी है और कुछ हमारी बुद्धि से परे है। आज के युग में सोंदर्य उद्द्योग,जो कि करोड़ो डॉलर का उद्योग है,और उनका कारोबार आपके डरने पर बढ़ता है इसलिए वे आपको डराते है जीवनदायनी धूप से। यही वजह है कि सोंदर्य प्रेमी हमारी पीढ़ी अब सूरज में नहीं निकलती ।
उनका सूरज से डरकर धूप में न जाना उन्हें रोगों का घर बना रहा है। आयुर्वेद में धूप से उपचार को ‘आतपस्न्नान’ कहा जाता है, जो कि हजारों वर्षो से रोगियों को निरोगी बना रहा है। ग्रिकवासी इस धूप स्न्नान को हेलिओसिस कहते है। इसी के आधार पर आज धूप से उपचार की पद्दति को हेलियो – थेरेपी नाम दिया गया है।
धूप से डरकर कोस्मेटीक्स इंडस्ट्री करोड़ो के सनस्क्रीन क्रीम बेच रही है जिसे हमारे युवा खरीद लेते है और अपने लिए कही मुसीबते न्योत रहे है। सनब्लोक या सनस्क्रीन क्रीम में मिलाए जाने वाले केमिकल्स के की दुष्प्रभाव होते हैं, जिनमें यह प्रमुख हैं – त्वचा का कैंसर , थाईराइड की समस्या, चहेरे पर झुर्रियाँ पैदा होना।
धूप से डरे नहीं। धूप को अमृत समझें!रोजाना कम से कम 15 मिनट धूप में अवश्य बैठे और अपने बच्चो को भी धूप स्नान रोजाना करवाएँ। यह मानवता के लिए ईश्वर की एक देन है। यह हमारे लिए जीवन है, स्वास्थ्य है और अतुल्य औषधि है।