वस्त्र और स्वास्थ्य -किस मौसम में कैसे वस्त्र पहने !clothing and health how to dress in weather

वस्त्र और स्वास्थ्य -किस मौसम में कैसे वस्त्र पहने !clothing and health how to dress in weather

वस्त्र का स्वास्थ्य से सम्बन्ध (clothing and health)-

वस्त्र या कपड़े हमारे शरीर को ढकने के साथ-साथ हमें सुन्दरता भी प्रदान हमें सुन्दरता भी प्रदान करते है। ये हमारे आत्मविश्वास एवं व्यक्तित्व पर घर असर डालते है और यकीनन कपड़ों का हमारे स्वास्थ्य पर(clothing and health) गहरा असर पड़ता है। कुछ कपड़े हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है तो कुछ हानिकारक।
. कपड़े हमेशा अपने सहूलियत व मौसम के अनुसार ही पहनें, दिखावे के लिए नहीं।
. मौसम का ध्यान रखकर कपड़ों का चयन करें। गर्मी में हल्के रंग के कपड़े एवं सर्दी में गहरे रंग के गर्म कपडे और बरसात में जल्दी सूखने वाले कपड़ों का चयन करें।
. कभी टाईट कपड़े न पहनें, हमेशा ढीले और आरामदायक कपड़े ही पहनें। . यदि आवश्यक ना हो तो बेल्ट का उपयोग न करें, बहुत आवश्यक होने पर भी ढीला बेल्ट पहनें, क्योंकि टाईट बेल्ट पेट को दबाता है, जिससे कई नसों एवं तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ता है। इस कारण हमारे प्रजनन अंग एवं पैरों को पोषण नहीं मिल है और वे दिन -ब-दिन कमजोर होते है। जो लोग नि:सन्तान है या किसी प्रकार की यौन दुर्बलता या निर्बलता से है तो वे पायजामा,लुंगी का उपयोग ज्यादा करें और जिन्स,ट्राउजरर्स तथा टाइट अंडरवियर न पहने क्योंकि ये अंडकोष का तापमान बढ़ा देते है जिससे शुक्राणुओं में विकार उत्पन्न हो जाते है। पुरुष ऐसी अंडरवियर का चुनाव करें जो हल्का,पतला तथा मुलायम हो और वह अंडकोष को हल्का -सा सहारा देता है।
. महिलाएं जहाँ तक सम्भव हो अंडरवियर न पहने क्योंकि यह योनी में कई प्रकार के संक्रमण का कारण बनता है तथा ब्रेजियर(ब्रा) भी अत्यंत आरामदेह हो ,ज्यादा कसावट भरी न हो, अच्छा है यदि वह सूती वस्त्रों से बनी हो।
.ठंडे मौसम में छाती के हिस्से को गर्म कपड़ों से ढकें बगैर घर से न निकलें क्योंकि छाती के हिस्से में हमारे दो प्रमुख अंग फेफड़े और ह्रदय स्थित होते है। ठंडी हवाओं से इनमें उपस्थित नसों में संकुचन होता है जो ह्रदयाघात का कारण बनता है तथा फेफड़ों में दमा या खांसी को उत्पन्न करता है।
. यदि किसी खास किस्म के वस्त्रों, अंडरवियर, मोजे एवं जूतों को पहनने के बाद खुजली हो या त्वचा पर लाल निशान या जलन हो तो उसे फौरन उतार दें तथा भविष्य में उस मटेरियल से बने वस्त्रों का उपयोग कदापि नहीं करें।
. यदि आपके पैरों में सुजन आती है तो आप जूते पहनने के लिए वह समय चुनें जब आपके पैर में सुजन मौजूद हो क्योंकि यदि आपने इसका उल्टा किया तो जूते आपके पैरों में कसावट पैदा कर देंगे, जिससे पैरों की नसों पर दबाव पड़ेगा और यह घातक रूप ले लेगा यदि आप मधुमेह से पीड़ित है तो।
. यदि आप शीत या कफ के रोगों जैसे -दमा, खांसी तथा अपच से पीड़ित रहते है तो गहरे रंग के कपड़े पहने, मुख्यत: काले रन के क्योंकि ये सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते है जो आपको अतिरिक्त ऊष्मा प्रदान करेंगे। इसके विपरीत यदि आप गर्मी या पित्त के रोगों जैसे- एसिडिटी, बार-बार गर्भपात या रक्त बहने वाले रोग से पीड़ित रहते है तो हल्के रंग के कपड़े पहने, विशेषत: सफेद।
. यदि आप शीत या कफ के रोगों से पीड़ित रहते है तो चाँदी से बने आभूषण न पहनें तथा इसके विपरीत गर्मी या पित्त के रोगों से पीड़ित है तो स्वर्ण आभूषण न पहनें।
. जिनको पैरों की दुर्बलता,यौन दुर्बलता,गैसेज,अपच की शिकायत रहती है तो वे सबसे पहले अपने नाड़े अथवा बेल्ट की कसावट पर ध्यान दें यदि वह कसावट भरा हो तो में उसे ढीला करने की सलाह देता हूँ जिससे आधी समस्याएँ तो बिना किसी दवाई के ही ठीक हो जाएगी।
ये वे छोटी-छोटी बातें है जिन्हें हम यूं ही इग्नोर कर देते है और ये हमें बीमार कर देती है।यदि आप भी इनमें से किसी समस्या से पीड़ित है तो अपना बेल्ट ढीला कीजिए और स्वस्थ हो जाइये, किसी डॉक्टर की सलाह का इंतजार क्यों करें। हो सकता है चिकित्सक व्यस्तता के कारण आपको यह सलाह देना भूल जाए।

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