गर्मी के मौसम में यह दूसरे मौसम की तुलना में दस्त (Diarrhea)की समस्या ज्यादा होती है। इसका कारण यह है कि गर्मियों में अनेक प्रकार की बिमारियों के बेक्टीरिया अधिक सक्रिय हो जाते हैं। प्रदूषित जल और बासी खराब खाना खाने से दस्त की समस्या अधिक होती है, और बारिश के मौसम में अक्सर लोगों का पेट खराब हो जाता है। दरअसल,बारिश के मौसम में वातावरण में नमी ज्यादा हो जाती है जिससे बैक्टीरिया के पनपने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
दस्त और पेट से जुड़े अधिकतर रोग उन लोगों को होते हैं जो बाहर के भोजन का सेवन करते है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि बाहर का खाना खाने वाले लोगों को ही होगा क्योंकि जो लोग घर पर खाना खाते हैं उनको भी दस्त जैसी समस्याए होती है पेट में संक्रमण होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार उल्टा सीधा खाने की वजह से तो कई बार गंदगी में रहने की वजह ये पेट से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं।
संक्रमण हो जाने से बार-बार पतले दस्त लगते है, कमजोरी महसूस होती है, उल्टी भी हो सकती है और कभी-कभी बुखार के लक्षण भी दिखाई देते हैं। अगर दस्त का सही इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है। जैसे बार-बार दस्त से कुपोषण का शिकार होना और डिहाइड्रेशन से किडनियों पर भी गलत असर पड़ता हैं।
निम्न कारणों से दस्त हो सकती है-
1. संक्रमण ही दस्त लगने का सबसे मुख्य कारण होता है। यह संक्रमण बैक्टीरिया,वायरस,फंगस या प्रोटोजुआ के संक्रमण से हो सकता है। यह संक्रमण दूषित खाना खाने से और गंदे हाथों से खाना खाने से मानव शरीर में फैल जाता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। 2.कई लोगों को कुछ खाद्य पदार्थो को खाने से एलर्जी होती है जिसके कारण भी दस्त हो सकती है। 3. कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी कमजोर होती है। जिससे उनको संक्रमण जल्दी हो जाता है और दस्त की समस्या हो जाती है। 4. बूढ़े लोगों की आंतों में गंदगी के कारण रुकावट पैदा होती है जिसके कारण उन्हें कभी-कभी बार-बार दस्त होती है। 5. संग्रहणी IBS रोग से पीड़ित रोगी को भी अक्सर दस्त की शिकायत रहती है। लक्षण-
बार-बार लूज मोशन लगना,पेट में दर्द रहना,बुखार भी आ सकता है, मल में खून आना,आलस्य आता है,मांसपेशियों में ऐंठन होना, पेशाब कम बनना।
बचाव-
हाथों को धोना हमें बहुत सी बिमारियों से बचाता है। हर बार शौच के बाद, खाना खाने और पकाने से पहले साबुन या हैण्डवाश से हाथ जरुर धोएं।पानी को उबालकर और फिर ठंडा कर पिएं। कटे हुयी साग-सब्जियों और फलों को ढक कर रखे। फ़ास्ट फ़ूड का सेवन नहीं करें नवजात बच्चों को छह माह तक मां के दूध के अलावा कुछ और ऊपर से न पिलायें। बच्चे को शहद या घुट्टी नहीं देनी है। मां का पहला दूध बच्चे को जरूर पिलाएं।
घरेलू उपचार –
अदरक – एक चम्मच अदरक पाउडर को दूध में मिलाकर पीने से दस्त में आराम मिलता है। दही- पेट दर्द में दही का प्रयोग काफी लाभदायक रहता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया पेट का संतुलन ठीक करता है। जिससे दस्त जल्दी ठीक होती है। केला – अगर आप बार-बार हो रहे दस्त से परेशान हो चुके हैं तो केले का प्रयोग आपको आराम देगा। इसमें मौजूद पेक्टिन पेट को बांधने का काम करता है। जिससे दस्त जल्दी ठीक होती है। जीरा- जीरा दस्त में काफी फायदेमंद है अगर आप दस्त से परेशान है तो एक चम्मच जीरा लेकर चबा लें और उपर से पानी पी लेने से दस्त बहुत जल्दी रुक जाते है।