बीमारियों को फैलाना- डॉक्टरों और दवा कम्पनियों का खेल!(Game of doctors and pharma companies)

बीमारियों को फैलाना- डॉक्टरों और दवा कम्पनियों का खेल!(Game of doctors and pharma companies)

डॉक्टरों और दवा कम्पनियों का खेल (Game of doctors and pharma companies)बिमारियों को फैलाना-
1948 में यूएनओ ने WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन)की स्थापना की। जिसका काम था दुनिया में स्वास्थ्य से जुडी संस्थाओं और नियमों को स्थापित करना और उन्हें एक बेहतर स्थिति तक पहुंचाना। दुनिया में जिन -जिन रोगों से अधिक लोग मर रहे है, डब्ल्यूएचओ उन पर शोध करती है। फिर कुछ चुनिन्दा मेडिकल यूनिवर्सिटीज जैसे -ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी,हावर्ड यूनिवर्सिटी, टोरंटो यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी आदि से डाटा और फीडबैक लेती है कि कौन सी बीमारी अधिक घातक सिद्ध हो रही है। इस फीडबैक के आधार पर एक पैनल बनाया जाता है। अक्सर ये पैनल्स दवा कंपनियों के प्रायोजित किये जाते है यानि की पैनलों के सदस्य इन दवा कंपनियों के कर्मचारी होते है। इसका मतलब ये हैं कि पैनल द्वारा तैयार की गई गाइडलाइंस चाहे वह हाइपरटेंशन की हो या कोलेस्ट्राल की हो या फिर आस्टियोपोरोसिस की, वे हमेशा दवा कम्पनियों के हक में ही होती है। एक बार गाइडलाइंस के बन जाने पर इन्हें डॉक्टरों तक पहुँचाने का काम यानि पोस्टमैन बनने का काम दवा कंपनियों के मेडिकल एजेंट करते है या इन्हें आए दिन आयोजित होने वाली मेडिकल कोंफ्रेंस के माध्यम से विश्व भर में प्रचारित किया जाता है और फिर डॉक्टर इन्हें मरीजों तक यानि आप तक पहुंचाते है। डॉक्टरों और डब्ल्यूएचओ के बीच होती है दवा कंपनियां और दवा कंपनियों का एक ही मकसद होता है और वह है -लाभ कमाना। अगर आप चाहते है कि आपको असलियत पता चले तो डॉक्टरों,दवा कम्पनियों और नई गाइडलाइंस को बीच से हटा कर विश्वसनीय यूनिवर्सिटीज से सीधा जुड़ने की कोशिश करें।

Game of doctors and pharma companies!अब जानने की कोशिश करते है कि बिमारियों का खेल होता कैसे है?

दवा कम्पनियां सलाहकार और वक्ताओं के तौर पर डॉक्टरों को बुलाती है। डॉक्टरों के शोध को प्रायोजित व प्रकाशित करने में दवा कंपनियां मदद करती है। डॉक्टरों द्वारा दवा कम्पनियों को सलाह :- . नई दवाओं के प्रयोग में उनकी मदद करते है। . मार्केटिंग के मामले में उन्हें सलाह देते है। . अन्य विशेषज्ञ भी उन्हें दवाओं की लांचिग में सहायता देते है और एफडीए से उन नई दवाओं की मंजूरी लेने के लिए भी कंपनियों की मदद करते है। . कुछ डॉक्टरों का पैसा भी इन कंपनियों में लगा होता है इसलिए वे भी समय-समय पर इन्हें सलाह और मदद देते रहते है। बीमारी को परिभाषित करना :- . दवा कपनियां एक मीटिंग प्रायोजित करती है जहाँ विशेषज्ञ बिमारियों की नई परिभाषा देने के लिए तैयार होते है। . पहले से स्थापित बिमारियों को भी फिर से नया नाम दिया जाता है और विशेषज्ञ इनके उपचार के लिए गाइडलाइंस लिखते है। जिनके माध्यम से अन्य चिकित्सको को बताया जाता है कि ज्यादा से ज्यादा दवाओं का प्रयोग कैसे किया जाना चाहिए? बीमारी का प्रचार करना:- . गाइडलाइंस लिखने वालों सहित कम्पनी विशेषज्ञ भी चिकित्सकों को बीमारी की नई परिभाषाओं से जुडी जानकारियों से अवगत कराते है। आशा करते है कि अब आपको बिमारियों का यह गणित समझ में आ गया होगा और आप जान गए होंगे कि कैसे आपको दो दुनी आठ के प्रपंच में हमेशा के लिए फंसा दिया जाता है। पोस्ट को पढने के बाद तो आपको समझ आ गयी होगी कि डॉक्टर और दवा कम्पनियों ने कैसे बिमारियों को व्यापार बना के चलाते है और अपने फायदे के लिए किस तरह लोगों को इस जाल में फंसाते है इसलिए आप भी सतर्क रहे और पोस्ट को शेयर करके और लोगों को भी सतर्क करे।

⇒(हाई B.P)(शुगर)(कोलेस्ट्रॉल) की माया जिसे कोई समझ न पाया।⇐click करें

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