प्रेशर कुकर और एल्युमिनियम के बर्तन(Harmful aluminum utensils) में पकाया भोजन क्यों है हानिकारक
महर्षि वाग्भट्ट के नियमानुसार जिस भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश व पवन का स्पर्श ना मिले वह भोजन विष के समान है। प्रेशर कुकर में भोजन पकाते समय सूर्य का प्रकाश व पवन का स्पर्श नहीं मिलता है।
भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश लेने के लिए बर्तन को बिना ढके भोजन पकाना होगा। बिना ढके पकाने से हवा का दबाव सामान्य रहता है। परिणाम स्वरूप पोषक तत्व नष्ट नहीं होते है। प्रेशर कुकर के अन्दर खाना पकाते समय हवा का दबाव वातावरण से दुगना हो जाता है व तापमान 120 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है।
राजीव दीक्षित जी ने प्रेशर कुकर में पकाई दाल का जब परिक्षण कराया तो यह पाया कि 87% पोषक तत्व नष्ट हो जाते है व स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते है।
एल्युमिनियम के बर्तन क्यों है खतरनाक – एल्युमिनियम के बर्तन 100-150 साल पहले ही भारत में आए है। उससे पहले धातुओं में पीतल,कांसा, चांदी,फुल आदि के बर्तन और बाकि मिटटी के बर्तन चलते थे। अंग्रेजों ने जेलों के केदियों के लिए एल्युमिनियम के बर्तन शुरू किये। क्योंकि उस समय जेलों में ज्यादातर भारतीय क्रांतिकारी हुआ करते थे। जिससे धीरे-धीरे यह जहर उनके शरीर में जाता रहे।
एल्युमिनियम के बर्तन के उपयोग से कई तरह के गंभीर रोग होते है। जैसे अस्थमा,वात रोग,टी.बी.,शुगर,दमा,मानसिक रोग आदि। पुराने समय से इस्तेमाल हो रहे फुल,पीतल,कांसे,मिटटी के बर्तन फिर से लेकर आयें।
हमारे पूर्वजो को मालूम था कि एल्युमिनियम बाक्साइट से बनता है और भारत में इसकी भरपूर खदानें है।फिर भी उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बनाये क्योंकि वो जानते थे कि एल्युमिनियम भोजन बनाने और खाने के लिए सबसे घटिया धातु है।