मोबाइल फोन (mobile radiation) के बिना हमारे जीवन की कल्पना
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मोबाइल फोन (mobile radiation) के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी नहीं कर पाते हैं। आदत ऐसी बन गई हैं की जब कॉल नहीं होता, तो भी हमें लगता हैं कि घंटी बज रही हैं।
यह घंटी दरअसल खतरे की ही हैं। आजकल हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन का होना बहुत ही आम बात हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप जिस मोबाइल फोन से देश दुनिया में लोगों से बातें कर रहे हैं।
वह आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता हैं एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से रेडिएशन (mobile radiation) का खतरा बढ़ जाता हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
आपको बता दे की आजकल शहर से लेकर गाँवों में भी हर एक व्यक्ति मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा हैं, और उनका मोबाइल से दूरी रखना अब आसान काम नहीं रह गया हैं।
मोबाइल के खतरनाक रेडिएशन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इसको जानने के बावजूद लोगों में मोबाइल के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही हैं। जानकारों का कहना हैं की कुछ ख़ास बातों को ध्यान में रखा जाएँ
तो मोबाइल फोन के रेडिएशन और उसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता हैं। रेडिएशन से डायबिटीज, बीपी, सिर दर्द, सिर में झनझनाहट, नींद न आना, आँखों में ड्राइनेस सहित कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बिमारी होने की आशंका होती हैं।
मोबाइल रेडिएशन में माईक्रोवेव्स होती हैं। जो बॉडी के सेल्स में वाइब्रेशन करता हैं, यह वाइब्रेशन कोशिकाओं के अवयवों को नष्ट कर देता हैं। टावर से निकलने वाले रेडिएशन के गंभीर मुद्दो को लेकर पिछले कई सालों से पत्रिका समूह आवाज उठाता रहा हैं।
अलग-अलग माध्यम से जनता को जागरूक करता रहा हैं,पत्रिका की पहल से लोग जागरुक होते हुए टावर्स के विरोध में आगे आए, मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन पर दुनिया भर में बहस चल रही हैं, लगातार शोध किए जा रहे हैं,
रेडिएशन से होने वाले नुकसान को देखते हुए मोबाइल टावर्स को हटाने की माँग तेज हो गई हैं। सरकार की तरफ से कराए गए शोध और अध्ययनों में मोबाइल रेडिएश से ब्रेन ट्यूमर होने की आशंका ज्यादा हैं,जबकि मोबाइल इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनिया जब ऐसे अध्ययन तो शोध के नतीजों में आशंका को कम बताया जाता हैं।
24 घंटे रेडिएशन के साए में लोग 2004 में इजरावली शोधकर्ताओं ने एक शोध किया, जिसके बाद उन्होंने बताया की जो लोग लम्बे समय से स्थापित मोबाइल टावर के 350 मीटर के दायरे में रहते हैं।
उन्हें कैंसर होने की आशंका चार गुना बढ़ जाती हैं, 2004 में जर्मन के दायरे में एक दशक से रह रहे लोगों में अन्य लोगों के मुकाबले कैंसर होने का अनुपात ज्यादा पाया जाता हैं। जानकारों का कहना हैं कि मोबाइल से अधिक परेशानी उसके टावर्स से हैं,
क्योंकि मोबाइल का इस्तेमाल हम लगातार नहीं करते,लेकिन टावर लगातार 24 घंटे रेडिएश फैलाते हैं। मोबाइल पर हम घंटे भर बात करते हैं तो उसके हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमें 23 घंटे मिल जाते हैं।
जबकि टावर के पास रहने वाले उससे लगातार निकलने वाली तरंगों की जद में रहते हैं,विशेषज्ञ दावा करते हैं कि अगर घर के सामने टावर लगा हैं तो उसमें रहने वाले लोगों को 2-3 साल के अंदर सेहत से जुड़ी समस्याएँ शुरू हो सकती हैं।
मोबाइल रेडिएशन क्या होता हैं? मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन गर्भ में पल रहे बच्चे के ग्रोइंड टिश्यु को नुक्सान पहुँचा सकता हैं मोबाइल रेडिएशन बच्चों को हाइपरएक्टिव बना देती हैं,
जो मानसिक और भावनात्मक असर डालती हैं। मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से कोशिकाओं में तनाव पैदा होता हैं। इसके कारण कैंसर का खतरा होता हैं। मोबाइल फोंस से निकलने वाली रेडिएशन और किरणें पक्षियों और पर्यावरण के साथ-साथ हमारी सेहत के लिए भी बेहत खतरनाक होती हैं।
इन हानिकारक रेडिएशन को फोन की sar value के जरिये ही आंका जा सकता हैं। हर मोबाइल की सार वैल्यू अलग होती हैं।ऐसे में आप जानते हैं कि जिस स्मार्टफोन का आप यूज लें रहे हैं वो आपको कितना नुक्सान पहुँचा रहा हैं।
किस तरीके से आप अपने फोन की sar value को चेक कर सकते हैं। और समझ सकते हैं कि फोन की सार वैल्यू कितनी ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं।
रेडिएशन से बचने के उपाय - जब मोबाइल से बात हो रही हैं तो कोशिश कीजिए कि सीधे कान पर फोन लगाकर लगातार बात नहीं करें और उसके बजाय फोन के स्पीकर या फिर ईयर फोन के जरिये बात करें यही नहीं कॉल बंद होने के बाद इयरफोन को तुरंत कान से हटा लें
इसके अलावा शरीर के किसे भी हिस्से पर मोबाइल फोन रखना भी काफी खतरनाक हो सकता हैं। ऐसे में मोबाइल को ज्यादा से ज्यादा दूरी रखने की कोशिश करें। और लोग यह सोचते हैं
कि अगर मोबाइल बंद हैं तो मोबाइल में रेडिएशन नहीं हो रहा हैं। जबकि ऐसा नहीं हैं आप उस समय भी रेडिएशन की चपेट में आ सकते हैं भले ही वो पूरी तरह से बंद ही क्यू नहीं हो, खतरनाक रेडिएशन से बचने के लिए मोबाइल को तकिये के नीचे नहीं रखना चाहिए।
और बहुत जरूरी हो तो ही mobile से बात करें, और कोशिश करें कि मैसेज के जरिये ही बातचीत हो जाएँ तो बेहतर हैं। और रेडिएशन का खतरा कम करने के लिए मोबाइल के कवर के अंदर देशी गाय के गोबर का सूखा हुआ टुकड़ा रख लें इससे भी रेडिएशन का खतरा कम होता हैं।
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