शक्कर (Sugar-a sweet poison)एक दानेदार खुबसूरत सफेद रंग का पदार्थ है, जिसे आजकल मिठास का पर्याय माना जाने लगा है। सभी मिठे पदार्थों की जगह यह शक्कर ले चुकी है गुड़,मिश्री, पिण्ड खजूर को लोग अब पुराने जमाने की चीजें बताकर मुँह फेर लेते है। आइये जानते है ख़ुशी के वक्त बंटने वाली मिठाई के बारे में कुछ अनजाने पहलू के बारे में –
डॉ.विलियम मार्टिन ने 1957 में शक्कर को जहर(Sugar-a sweet poison)बताया था। शायद वह हजरत अली रजी. के कथन “हर मीठी चीज जहर है सिवाए शहद के “का ही समर्थन कर रहे थे। डॉ. विलियम ने ऐसे ही नहीं कहा था। उन्होंने यह फ्रेंच वैज्ञानिक मेगेंडी के प्रयोगों के निष्कर्ष के बाद कहा था। 1816 में मेगेंडी ने 10 कुत्तों पर परीक्षण किया। उन्होंने उन कुत्तों को 8 दिन तक केवल शक्कर और पानी ही दिया। परिणामत: 8 वें दिन सभी कुत्ते मर गये।
सर फ्रेड्रिक बेटिंग (1927) जो कि इन्सुलिन के सह -खोजकर्ता हैं ने देखा कि पनामा में जो किसान रिफाइंड शक्कर का उपयोग करते थे उनमें मधुमेह रोग आम था। जबकि जो लोग गन्ने खाते थे चाहे वह ज्यादा मात्रा में रोजाना खाते थे उनमें मधुमेहबहुत ही दुर्लभ थी।
आहार विशेषज्ञ शक्कर को एम्प्टी या नैकेड केलोरी कहते है। इसमें कोई प्राकृतिक खनिज या पोषक पदार्थ नहीं होते है। जब प्राकृतिक खनिज या पोषक पदार्थ अनुपस्थित होते है तो इस शक्कर (कार्बोहाइड्रेट) का पाचन पूर्ण या ठीक से नहीं हो पाता है। ये अधपचा कार्बोहाइड्रेट कुछ विषैले तत्वों का निर्माण करते है जैसे कि छह की जगह पांच कार्बन एटम होते है।
इसमें से पायरूविक एसिड मस्तिष्क और तंत्रिकाओं में जमा हो जाता है और विकृत शर्करा हमारे RBCs में। इस कारण से हमारा मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है और RBCs पर विकृत शर्करा के जमने से हमारे शरीर की अन्य कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिलती और उनका क्षय होता चला जाता है। इससे हमारा शरीर जल्दी बुढा हो जाता है और कई अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो जाते है।
जब हम लगातार शक्कर का सेवन करते रहते है तो हमारे रक्त में अधिक एसिड का निर्माण होता जाता है। इस अधिक मात्रा में बने एसिड से बचाने के लिए रक्त हड्डियों और दांतों के केल्शियम को निकालकर खुद में मिलाता है जिससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती है। और दांत सड़ने लगते है। अचानक से शक्कर के रूप में मिली केलोरी की वजह से हमारे शरीर में एक केलोरी विस्फोट होता है।
इस विस्फोट से हमारे शरीर के अंग-प्रत्यंग हक्के-बक्के रह जाते है। सेस में इस अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट को हमारा लीवर संग्रहित कर लेता है। जब बार-बार ऐसा होता है तो यह अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट वसा के रूप में लीवर में जमा हो जाता है जिसे
चिकित्सकीय भाषा में फैटी लीवर कहते है इससे लीवर का कार्य प्रभावित होता है और शरीर कई रोगों से ग्रस्त होने लगता है।
इसके लक्षणों में सबसे पहले पेट का फूलना, पेट में सीधे हाथ की तरफ दर्द होना और भारी लगना, जी मिचलाना या उल्टी जैसा लगना, एसिडिटी आदि है।
शक्कर रिफाइंड कैसे की जाती है –
असल में शक्कर का रंग पीला या भूरा होता है। इसे सफेद या चमकदार बनाने के लिए गन्ने के रस में उबालते समय सल्फर डाईऑक्साइड मिलाया जाता है जिससे कि वह सुन्दर चमचमाते सफेद दानों में परिवर्तित हो जाती है। यही प्रक्रिया इसे सफेद जहर बना देती है।
हम सबसे ज्यादा शक्कर कैसे खाते है-
चाय में, मिठाई में, कोल्डड्रिंक में,(10 ग्राम प्रति 100 मि.ली.में), चाकलेट में, आइसक्रीम में इसे हम रोजाना खाते है।
शक्कर के हानिकारक प्रभाव –
मधुमेह (डायबिटीज),ह्रदय रोग,जोड़ों की समस्या, दांतों की समस्या,दांतों की सडन,लकवा,मस्तिष्क क्षय,फैटी लीवर,कैंसर,चर्म रोग,मोटापा,आई.बी.एम.,यौन समस्याएं आदि।
शक्कर या शुगर की जगह दुसरे विकल्प – गुड़, स्टीविया, खजूर,गन्ने का रस,नॉन रिफाइंड बुरे रंग की शक्कर या सल्फर रहित शक्कर (परन्तु कम मात्रा में) लें।
इस पोस्ट के जरिये हमने आपको शक्कर से होने वाले रोगों के बारे में बताया और बताया कि शक्कर से हमारे शरीर को कितना नुकसान होता है इसीलिए हम आपसे निवेदन करते है
शक्कर की जगह आप गुड़ या खांड का उपयोग कर सकते है तो आप इसे अपनाकर स्वस्थ रहे मस्त रहे और पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करते रहे ताकि आपके साथ-साथ और लोगों का भी भला हो सके। धन्यवाद